नई दिल्ली: असम के नागांव जिले में अधिकारियों ने शनिवार (29 नवंबर) को 795 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए बेदखली अभियान शुरू किया. यहां लगभग 1,500 परिवार, जिनमें से सभी बांग्ला भाषी मुसलमान थे, सालों से रह रहे थे.
स्क्रॉल की खबर के मुताबिक, ये बेदखली अभियान नागांव ज़िले के लुटीमारी इलाके में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चलाया गया.
इस संबंध में समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि प्रशासन ने तीन महीने पहले ही लोगों को नोटिस देकर इलाके खाली करने को कहा था. शुरुआत में दो महीने की समयसीमा दी गई थी. लेकिन बाद में निवासियों के अनुरोध पर प्रशासन ने इसे बढ़ाकर एक महीने का और कर दिया.
एजेंसी ने एक अज्ञात अधिकारी के हवाले से बताया कि परिवारों द्वारा इलाके को खाली करने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय मांगा था, जिस पर प्रशासन सहमत हो गया था.
उल्लेखनीय है कि शनिवार को जब घरों के ध्वस्तीकरण का अभियान चला, तब तक 1100 से अधिक परिवार अपने घरों को खुद ही तोड़कर, अपना सामान लेकर हट चुके थे. इनमें पक्के और कच्चे दोनों तरह के घर शामिल हैं.
अधिकारी ने समाचार एजेंसी को बताया कि अभियान के दौरान बाकी बचे घरों को भी गिरा दिया गया. कई हटाए गए परिवारों ने दावा किया कि वे इस इलाके में 40 साल से रह रहे थे, और उन्हें पता नहीं था कि यह जमीन आरक्षित वन क्षेत्र में आती है.
असम ट्रिब्यून ने बेदखल किए गए निवासियों में से एक के हवाले से बताया कि अभियान के बाद उनके पास रहने के लिए अब कोई जगह नहीं बची है.
इन व्यक्ति ने कहा, ‘अगर सरकार हमारे लिए जगह मुहैया कराती तो बेहतर होता. हम आदेश के अनुसार स्वेच्छा से यहां से गए थे और हम पुनर्वास चाहते हैं.’
असम ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, वन विभाग के विशेष मुख्य सचिव एमके यादव ने कहा कि क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने से वन भूमि पर मानव-हाथी संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी.
ज्ञात हो कि असम में 2016 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से कई जिलों में ध्वस्तीकरण अभियान चलाए गए हैं, जिनमें से ज्यादातर बांग्ला भाषी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों को निशाना बनाया गया है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दावा किया है कि मई 2021 में उनके पदभार ग्रहण करने के बाद से 160 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है.
इन विस्थापितों में से कई ने दावा किया है कि उनके परिवार दशकों से इन इलाकों में रह रहे थे और उनके पूर्वज ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव के कारण नदी क्षेत्रों में उनकी जमीन बह जाने के बाद इन इलाकों में बस गए थे.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने वन और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की बात बार-बार दोहराई है और ऐसे अभियानों को संरक्षण और कानून प्रवर्तन के लिए जरूरी बताया है.
पारिस्थितिक क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए राज्य भर में की गई कई कार्रवाइयों में नया नाम लुटीमारी इलाके का बेदखली अभियान है.






