पुस्तक समीक्षा: माधव हाड़ा द्वारा संपादित ‘भक्ति अगाध अनंत’ ऐसा संचयन है, जिसकी आवश्यकता लंबे समय से केवल अकादमिक संस्थानों या सुधि साहित्यिकों को नहीं थी वरन् जिसकी सर्वाधिक ज़रूरत रसहीन होते जा रहे सहृदय समाज को थी. यह संचयन देशज भक्ति परंपरा का अनुभव द्वार है, जिसमें बहुत ही स्पष्ट ढंग से भारतीय एवं पश्चिमी भक्ति अवधारणा और उससे संबंधित संशयों के निराकरण का उचित प्रयास है.