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राजस्थान: बाबरी विध्वंस की बरसी पर स्कूलों में ‘शौर्य दिवस’ मनाने का आदेश 12 घंटे बाद वापस लिया गया

02 December 2025
राजस्थान: बाबरी विध्वंस की बरसी पर स्कूलों में ‘शौर्य दिवस’ मनाने का आदेश 12 घंटे बाद वापस लिया गया
मुख्य बातें:
राजस्थान शिक्षा विभाग ने रविवार (30 नवंबर) सुबह स्कूलों में 6 दिसंबर को 'शौर्य दिवस' मनाने का आदेश वापस ले लिया है. शनिवार को यह आदेश शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर ही जारी किया गया था.

नई दिल्ली: राजस्थान शिक्षा विभाग ने रविवार (30 नवंबर) सुबह स्कूलों में 6 दिसंबर को ‘शौर्य दिवस’ मनाने का आदेश वापस ले लिया. यह आदेश शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर 12 घंटे पहले ही जारी किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 दिसंबर बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी होती है, जिसे मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर राजस्थान के सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाया जाना था.

इस आदेश के अनुसार, माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने स्कूलों को दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें उन्हें 6 दिसंबर को छात्रों और कर्मचारियों के बीच ‘देशभक्ति, राष्ट्रवाद, वीरता, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकता’ को बढ़ावा देने के लिए शैक्षिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की एक श्रृंखला आयोजित करने के लिए कहा गया था.

हालांकि, रविवार सुबह 9.15 बजे मंत्री ने इस आदेश को परीक्षाओं का हवाला देते हुए वापस ले लिया.

मदन दिलावर द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘राज्य के सभी स्कूलों में वर्तमान में परीक्षाएं चल रही हैं, जो 5 और 6 दिसंबर से शुरू होंगी. इसलिए परीक्षा अवधि के दौरान स्कूलों में कोई अन्य गतिविधियां या कार्यक्रम आयोजित करना संभव नहीं है. इसलिए, ‘शौर्य दिवस’ समारोह स्थगित किया जाता है.’

हालांकि, मंत्री ने इस दिवस को मनाने के निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि ‘भगवान राम भारतीय संस्कृति के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हैं और राम मंदिर आंदोलन सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है.’

उन्होंने आगे कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में जानने से ‘छात्रों को प्रेरणा मिलेगी और उनमें देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना का संचार होगा.’

उल्लेखनीय है कि प्रस्तावित समारोह के एक भाग के रूप में स्कूलों को भारतीय संस्कृति और राम मंदिर आंदोलन पर भाषण और निबंध प्रतियोगिताओं के साथ-साथ अयोध्या राम मंदिर पर आधारित चित्रकला और पोस्टर बनाने की गतिविधियां आयोजित करने के लिए कहा गया था.

इसमें देशभक्ति गीतों की प्रस्तुतियां, लोक नृत्य प्रदर्शन और ऐतिहासिक या पौराणिक प्रसंगों पर आधारित लघु नाटक भी प्रस्तावित थे. इसके अलावा राम जन्मभूमि आंदोलन और भारतीय इतिहास की अन्य ‘वीरतापूर्ण घटनाओं’ से संबंधित तस्वीरों, लेखों और कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियां भी इस समारोह के हिस्से के रूप में प्रस्तावित थीं.

आदेश में स्कूलों को सामूहिक सूर्य नमस्कार, योगाभ्यास और राम को समर्पित भजनों और आरती से शुरू होने वाली एक विशेष प्रार्थना सभा आयोजित करने का भी निर्देश दिया गया था.

सर्कुलर के अनुसार, कार्यक्रम के तहत स्कूल परिसर में शौर्य यात्राएं और जागरूकता मार्च भी आयोजित किए जा सकते थे. इसके साथ ही सैन्यकर्मियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों को छात्रों से बातचीत करने के लिए अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाना था.

मालूम हो कि मदन दिलावर ने शिक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद से कई विवादास्पद बयान और आदेश जारी किए हैं. मदरसों सहित स्कूलों में वंदे मातरम को अनिवार्य बनाने के उनके आदेश की अल्पसंख्यक समूहों ने तीखी आलोचना भी की थी.

मंत्री द्वारा कई मौकों पर मुगल शासक अकबर को अत्याचारी कहा  गया और पिछली कांग्रेस सरकार पर उसका महिमामंडन करने का आरोप लगाया गया.

हाल ही में मदन दिलावर ने कहा था कि सरकारी स्कूल परिसरों में अवैध अतिक्रमण और धार्मिक स्थल (जैसे  मंदिर या दरगाह या अन्य धर्मस्थल) तुरंत हटाए जाने चाहिए. अगर किसी स्कूल में ऐसे स्थल पाए जाते हैं, तो प्रिंसिपल/हेडमास्टर के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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