नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के शेड्यूल में बदलाव किया है, जिसमें फॉर्म जमा करने की समयसीमा भी एक हफ़्ते बढ़ा दी गई है.
अब गणना फॉर्म जमा करने की नई तारीख 11 दिसंबर है. पहले यह 4 दिसंबर थी.
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मसौदा सूची (ड्राफ्ट रोल) अब 16 दिसंबर को प्रकाशित होगा, जो पहले 9 दिसंबर को होना था. इसके साथ ही अब फाइनल सूची 14 फरवरी, 2026 को प्रकाशित होगी, जो पिछले शेड्यूल के हिसाब से 7 फरवरी को जारी होनी थी.
ज्ञात हो कि 4 नवंबर को शुरू हुई एसआईआर प्रक्रिया वर्तमान में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों- गोवा, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप और लक्षद्वीप में जारी है.
असम को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है, जहां बंगाल, तमिलनाडु और केरल के साथ अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
आयोग ने बताया था कि असम में विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर नहीं, सिर्फ विशेष पुनरीक्षण (एसआर) होगा, जो एसआईआर से भिन्न है. इसके लिए अर्हता तिथि (qualifying date) 1 जनवरी, 2026 को घोषित की गई है.
उल्लेखनीय है कि आयोग द्वारा तारीखों में बदलाव का यह निर्णय ऐसे समय में सामने आया है जब एसआईआर प्रक्रिया को लेकर आयोग को खासी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. प्रक्रिया की जटिलताओं ने देश भर में मतदाताओं समेत इस काम में लगे बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की भी चिंता बढ़ाई हुई है.
हालांकि, यह भी गौरतलब है कि बिहार में एसआईआर की विवादास्पद प्रक्रिया के अलावा जिस बात को लेकर चुनाव आयोग की आलोचना हुई थी, वह थी मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के प्रमाण के तौर पर दिए जा सकने वाले 11 दस्तावेजों की सूची. मगर इस बार आयोग ने कहा है कि गणना फॉर्म जमा करने की अवधि में किसी भी सहायक दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी. इसने सांकेतिक दस्तावेजों की अपनी सूची में 12वें दस्तावेज के रूप में आधार को भी शामिल किया.
मालूम हो कि बीते कई हफ़्तों से जारी इस प्रक्रिया के दौरान पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों से बीएलओ द्वारा कथित आत्महत्याओं व प्रदर्शन की ख़बरें सामने आई हैं. कई बीएलओ की अकस्मात मृत्यु को भी एसआईआर कवायद से जुड़े तनाव और दबाव से जोड़ा गया है.
पिछले ही सप्ताह गुजरात में बीएलओ के रूप में कार्यरत सरकारी प्राथमिक विद्यालय के लगभग 250 शिक्षकों ने अहमदाबाद के खोखरा स्थित एक डेटा अपलोडिंग केंद्र पर धरना दिया था. उन्होंने अधिक काम का दवाब, अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न और सर्वर समेत अन्य समस्याओं का आरोप लगाया था.
हालांकि इनमें से कई मामलों में जांच अभी भी चल रही है, लेकिन ऐसी ख़बरों ने बीएलओ के कार्यभार, आधिकारिक अपेक्षाओं आदि संबंधी चिंताओं को उजागर किया है. घोषणा से पहले चुनाव आयोग द्वारा बहुत कम वास्तविक तैयारी, और साथ ही भौतिक गणना फॉर्म और सीमित समय में उनके डिजिटलीकरण- दोनों की हाइब्रिड प्रक्रिया ने इस कवायद से जुड़े भ्रमों को और बढ़ाया ही है.






