नई दिल्ली: पिछले तीन दिनों में उत्तर प्रदेश के दो और राजस्थान में एक बूथ-लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की मौत हो गई – उनके परिवारों ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के बीच काम के बढ़ते बोझ का हवाला दिया.
हाल के महीनों में बीएलओ की मौत के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें विपक्षी दलों ने सरकार और चुनाव आयोग पर ज़मीनी स्तर के कर्मचारियों की हालत के प्रति उनकी उदासीनता पर सवाल उठाए हैं.
उत्तर प्रदेश
ख़बरों के अनुसार, रविवार (30 नवंबर) की सुबह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 46 वर्षीय सर्वेश सिंह ने आत्महत्या कर ली.
सिंह ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें उन्होंने एसआईआर कवायद के बहुत ज़्यादा दबाव का ज़िक्र किया है और कहा है कि उन्हें जो काम सौंपा गया था, उसे पूरा करने के लिए समय की कमी के कारण वह ‘घुटन’ महसूस कर रहे थे. उन्हें 7 अक्टूबर, 2025 को बीएलओ के तौर पर नियुक्त किया गया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सर्कल ऑफिसर (ठाकुरद्वारा) आशीष प्रताप सिंह ने कहा, ‘बीएलओ सर्वेश सिंह ने आत्महत्या कर ली है और एक सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें लिखा है कि वह बीएलओ ड्यूटी का बोझ नहीं उठा पा रहा था. उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है.’
इसी तरह धामपुर के एक बूथ पर तैनात बिजनौर की 56 वर्षीय शोभारानी भी कथित तौर पर एसआईआर के दबाव में आ गईं. शुक्रवार रात (28 नवंबर) को उनकी की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.
उनके पति ने कहा कि वह कुछ समय से बीमार थीं और शुक्रवार देर रात तक एसआईआर फॉर्म ऑनलाइन अपलोड करती रहीं. बाद में उसी रात उन्हें सीने में तेज़ दर्द की शिकायत हुई और उन्हें मुरादाबाद के अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई.
जिला कार्यक्रम अधिकारी विमल कुमार चौबे ने कहा कि शोभारानी पर काम से जुड़ा कोई दबाव नहीं था, जो एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी थीं.
राजस्थान
राजस्थान के धौलपुर में 40 वर्षीय बीएलओ अनुज गर्ग की रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. उनके परिवार के मुताबिक, वह देर रात तक काम कर रहे थे.
उनकी बहन वंदना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘वह रात 1 बजे एसआईआर का काम कर रहे थे. काम के बहुत ज़्यादा दबाव की वजह से वह तनाव में थे और उन्हें बेचैनी महसूस हो रही थी. उन्होंने मुझसे चाय मांगी, लेकिन इससे पहले कि मैं चाय ला पाती, वह गिर पड़े.’
उनके सुपरवाइज़र, लोकेंद्र कुमार क्षोत्रिय ने अखाबर को बताया कि गर्ग अच्छा काम कर रहे थे और उन्होंने अपने अधिकारक्षेत्र के 1,100 वोटरों में से लगभग 80% को कवर किया था. गर्ग के साथ काम करने वाले एक और बीएलओ ने कहा कि वे सभी बहुत ज़्यादा तनाव में हैं.
सुपरवाइज़र ने कहा, ‘उन्होंने काम के बारे में कभी शिकायत नहीं की और अच्छा काम कर रहे थे. हमें उम्मीद थी कि वह इसे जल्द ही पूरा कर लेंगे. हम नियमित संपर्क में थे, और एसडीएम ने भी दो दिन पहले ही एक मीटिंग की थी, जहां उन्होंने (गर्ग) कहा था कि वह जल्द ही काम खत्म कर देंगे.’
बीएलओ की अन्य मौतें
मालूम हो कि बीते कई हफ़्तों से जारी इस प्रक्रिया के दौरान पहले भी यूपी, पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों से बीएलओ द्वारा कथित आत्महत्याओं व प्रदर्शन की ख़बरें सामने आई हैं. कई बीएलओ की अकस्मात मृत्यु को भी एसआईआर कवायद से जुड़े तनाव और दबाव से जोड़ा गया है.
पिछले महीने उत्तर प्रदेश के गोंडा के एक प्राइमरी स्कूल शिक्षक विपिन यादव और फतेहपुर के एक लेखपाल सुधीर कुमार ने आत्महत्या कर ली थी. यादव का मरने से पहले का बयान कैमरे में कैद हो गया था, जिसमें उन्होंने एसडीएम, बीडीओ और लेखपाल पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया था. उनके भाई ने दावा किया था कि अधिकारी उन पर दूसरी पिछड़ी जातियों के लोगों के नाम हटाने का दबाव बना रहे थे.
कुमार ने 25 नवंबर को अपनी शादी से एक दिन पहले आत्महत्या की थी. खबर है कि वह अपने घर पर शादी की तैयारियों की वजह से एसआईआर मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए थे. इस वजह से कुमार को निलंबित कर दिया गया था और एक सीनियर अधिकारी ने उन्हें डांटा था. कुमार की बहन ने दावा था किया कि एक अधिकारी का कुमार के घर आना खास तौर पर अपमानजनक था.
पश्चिम बंगाल में 52 वर्षीय एडहॉक-टीचर और बीएलओ रिंकू तरफदार ने 22 नवंबर को आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने अपनी मौत का कारण एसआईआर कवायद से पड़ने वाले ‘अमानवीय दबाव’ को बताया था.
तरफदार की मौत से कुछ ही दिन पहले उत्तर बंगाल में एक और बीएलओ की कथित तौर पर उसी हफ्ते की शुरुआत में ऐसे ही हालात में आत्महत्या करने से मौत हो गई थी, जिससे यह डर बढ़ गया है कि एसआईआर प्रक्रिया जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को टूटने की कगार पर पहुंचा रही है.
चुनाव आयोग की चुप्पी
बीएलओ जिस दबाव में काम कर रहे हैं, उसकी बढ़ती आलोचना और एसआईआर में लगे सरकारी कर्मचारियों के बीच आत्महत्या से होने वाली मौतों के मामलों के बीच चुनाव आयोग ने अभी तक यह नहीं माना है कि इस प्रक्रिया ने बीएलओ पर कितना असर डाला है.
हालांकि, मौतों के बारे में कोई प्रतिक्रिया न देते हुए चुनाव आयोग ने इस बात पर ज़्यादा ध्यान दिया है कि बीएलओ काम के दबाव से कैसे निपट रहे हैं, डांस ब्रेक ले रहे हैं और अपने काम के लिए कैसे हिम्मत पा रहे हैं.
रविवार को चुनाव आयोग ने दो वीडियो जारी किए, जिनमें केरल में बीएलओ एसआईआर के काम के बीच ब्रेक लेते और डांस करते हुए दिख रहे हैं.



