नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय नागरिक को उसके भारतीय पासपोर्ट के कारण शंघाई एयरपोर्ट पर हिरासत में लिए जाने पर भारत ने पिछले हफ़्ते चीन के सामने औपचारिक विरोध दर्ज कराया.
यह घटना तब सामने आई जब ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय नागरिक प्रेमा वांगजोम थोंगडोक ने चीन से निकलने के बाद रविवार (23 नवंबर) को सोशल मीडिया पर अपना अनुभव शेयर किया.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘चीन इमिग्रेशन और @chinaeasternair के दावों पर मुझे 21 नवंबर, 2025 को शंघाई एयरपोर्ट पर 18 घंटे से ज़्यादा समय तक रोके रखा गया. उन्होंने मेरे भारतीय पासपोर्ट को अमान्य बताया क्योंकि मेरा जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश है, जिसे उन्होंने चीनी क्षेत्र बताया.’
उन्होंने इस पोस्ट में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू को भी टैग किया था.
सोमवार (24 नवंबर) को भारतीय आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की कि ‘बीजिंग और दिल्ली में उसी दिन, जिस दिन यह घटना हुई थी, चीनी पक्ष के साथ एक कड़ा विरोध जताया गया था.’
एक सूत्र ने कहा, ‘शंघाई में हमारे कॉन्सुलेट ने भी इस मामले को स्थानीय स्तर पर उठाया और फंसे हुए यात्री की पूरी मदद की.’ सूत्र ने यह भी बताया कि यात्री को ‘बेतुके कारणों’ पर रोका गया था. अरुणाचल प्रदेश बिना किसी शक के भारतीय इलाका है और इसके रहने वालों को भारतीय पासपोर्ट रखने और उसके साथ यात्रा करने का पूरा हक है.
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि ‘चीनी पक्ष की ऐसी हरकतें द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की प्रक्रिया में बेवजह रुकावटें डालती हैं.’
यह पिछले साल पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चार साल से चल रहे सैन्य गतिरोध को सुलझाने के बाद संबंधों में धीरे-धीरे सुधार का ज़िक्र था, जिसके दौरान संबंध बहुत तनावपूर्ण हो गए थे.
अधिकारियों ने यह भी कहा कि चीनी अधिकारियों की हरकतें सिविल एविएशन से जुड़े शिकागो और मॉन्ट्रियल कन्वेंशन का उल्लंघन हैं.
1944 में हस्ताक्षर किए गए शिकागो कन्वेंशन ने इंटरनेशनल हवाई यात्रा के लिए बुनियादी सिद्धांत तय किए, जिसमें भेदभाव न करना और संप्रभु देशों द्वारा जारी किए गए वैध यात्रा दस्तावेज को मान्यता देना शामिल है. मॉन्ट्रियल कन्वेंशन इंटरनेशनल हवाई यात्रा को आसान बनाने को और मज़बूत करता है.
उल्लेखनीय है कि चीन पूरे भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहा है और उसने भारतीय इलाके की जगहों को चीनी नाम देते हुए कई लिस्ट जारी की हैं. पहले, उसने अरुणाचल प्रदेश के लोगों को स्टेपल्ड वीज़ा जारी किए थे, जिसका भारत ने विरोध किया था. हाल के वर्षों में राज्य के खिलाड़ी वीज़ा न मिलने के कारण चीन में फंसे भी थे और आयोजनों में हिस्सा नहीं ले सके.
अपने अनुभव के बारे में बताते हुए, थोंगडोक ने बताया कि वह लंदन से जापान जा रही थीं, और शंघाई में तीन घंटे का लेओवर था.
उन्होंने कहा कि कैसे ‘चीनी इमिग्रेशन के एक अधिकारी आए और मुझे लाइन से अलग कर दिया.’ जब उन्होंने पूछा कि क्या हो रहा है, तो अधिकारी ने जवाब दिया, ‘अरुणाचल- इंडिया नहीं, चीन-चीन, आपका वीज़ा मंज़ूर नहीं है. आपका पासपोर्ट इनवैलिड है.’
जब उन्होंने सफाई मांगने की कोशिश की तो मामला और बिगड़ गया. उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया, ‘जब मैंने उनसे सवाल करने और यह पूछने की कोशिश की कि मामला क्या है, तो उन्होंने कहा, ‘अरुणाचल इंडिया का हिस्सा नहीं है’ और मज़ाक उड़ाने और हंसने लगे और कहने लगे ‘तुम्हें चीनी पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना चाहिए, तुम चीनी हो, तुम इंडियन नहीं हो’.’
थोंगडोक ने ज़ोर देकर कहा कि वह ‘पहले भी शंघाई से बिना किसी दिक्कत के गुज़री हैं.’ जिससे यह हिरासत खास तौर पर अप्रत्याशित था. इस मुश्किल के दौरान वह बहुत लंबे समय तक अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पाईं. बाद में वे बीजिंग में भारतीय दूतावास और शंघाई में कॉन्सुलेट जनरल से संपर्क करने में कामयाब रहीं.
उन्होंने कहा, ‘…एक घंटे के अंदर भारतीय अधिकारी एयरपोर्ट आए, मेरे लिए कुछ खाने को लाए और उनसे मेरी दिक्कतों पर बात की और मुझे देश से बाहर निकलने में मदद की. यह बहुत लंबी मुश्किल थी, 18 घंटे, लेकिन खुशी है कि मैं वहां से बाहर आ गई.’





